
Gyan vigyan sangam
" पुरातन युग में ज्ञान-विज्ञान का संगम "
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आधुनिक: कंप्यूटिंग में बाइनरी सिस्टम
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योगदानकर्ता: गॉटफ्राइड विल्हेम लाइबनिज (१६४६-१७१६)
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विवरण: गणित में बाइनरी सिस्टम, जिसका श्रेय 17वीं शताब्दी में गॉटफ्राइड विल्हेम लाइबनिज को दिया गया, यह अंक प्रणाली दो अंकों पर आधारित है: 0 और 1। यह प्रणाली आधुनिक कंप्यूटिंग की नींव बनाती है, जो बाइनरी कोड का उपयोग करके जानकारी का प्रतिनिधित्व करती है।
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समयावधि: 17वीं शताब्दी
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स्थान: यूरोप


गॉटफ्राइड विल्हेम लीबनिज
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प्राचीन: आचार्य पिंगल (महान गणितज्ञ और बाइनरी अंक प्रणाली के जनक)
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समय अवधि: दुसरी शताब्दी ईसा पूर्व
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स्थान: भारतवर्ष
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प्रमाण:-
छंदशास्त्र
अर्ध इत्यनुवर्तते । विषमसङ्ख्यायामेकमधिकं निक्षिप्य ततोऽर्धयेत ।
तत्रैको गकारो लभ्यते । तं पूर्वलब्धाल्लकारात् परं स्थापयेत् ।
ततो द्विसंख्यावशिष्यते । पुनस्तामर्थ- येत, ततश्चैकलकारं दद्यात् ।
ततश्चैकसंख्यावशिष्यते । तत्र तावत् सैके गिति लक्षण- मावर्तनीयं यावद्धृत्ताक्षराणि षट् पूर्यन्ते ।
एवं सङ्ख्यान्तरेऽपि योज्यम्
अर्थ:
"विषम संख्या के मामले में, एक और जोड़ना चाहिए और फिर उसे आधा करना चाहिए। इस प्रक्रिया के दौरान, शेषांश के रूप में 'गुरु' प्राप्त होता है। उस 'गुरु' को पिछले परिणाम के बाद जोड़ना चाहिए। फिर, परिणाम को दो में विभाजित करें। फिर समान प्रक्रिया का पालन करते हुए, परिणाम के बाद 'लघु' जोड़ें। फिर परिणाम को दो में विभाजित करें। इस प्रक्रिया को जारी रखें जब तक अक्षरों की संख्या समाप्त नहीं होती। इस प्रकार, अन्य संख्याओं के लिए भी, ऐसी ही प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए।"
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पिंगल की अंक प्रणाली में:
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"लघु" अंक 1 का प्रतिनिधित्व करता है।
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"गुरु" अंक 0 का प्रतिनिधित्व करता है।
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आधुनिक बाइनरी संख्याएँ अक्सर बाईं ओर बढ़ती हैं, जबकि आचार्य पिंगल का बाइनरी प्रतिनिधित्व दाईं ओर बढ़ता है। आचार्य पिंगल की प्रणाली शून्य के बजाय नंबर एक से शुरू होती है। प्रारंभिक पैटर्न, "0000" में चार छोटे शब्दांश हैं और यह संख्या एक का प्रतिनिधित्व करता है।
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आधुनिक विज्ञान से संबंध: लाइबनिज की बाइनरी प्रणाली को आचार्य पिंगल के छंदशास्त्र (प्राचीन भारतीय गणितीय पाठ) से प्रेरणा मिलती है।
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आचार्य पिंगल का छंदशास्त्र (प्राचीन भारतीय संबंध)
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निष्कर्ष: 17वीं शताब्दी में गॉटफ्राइड विल्हेम लाइबनिज द्वारा निर्मित बाइनरी सिस्टम ने गणित में क्रांति लाई और आधुनिक कंप्यूटिंग के आधार के रूप में कार्य किया। दिलचस्प बात यह है कि आचार्य पिंगल का छंदशास्त्र, जो भारत में तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में आचार्य पिंगल द्वारा लिखा गया था, जिसमे गणितीय सिद्धांत शामिल हैं, जिन्होंने लीबनिज़ के बाइनरी सिस्टम के विकास को प्रभावित किया। यह अंतर-सांस्कृतिक संबंध समकालीन तकनीकी प्रगति पर प्राचीन गणितीय अवधारणाओं (Concepts) के स्थायी प्रभाव को रेखांकित करता है।

आचार्य पिंगल
आचार्य पिंगल द्वारा शून्य और एक का संयोजन

बाइनरी संख्या प्रणाली
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गणित में बाइनरी सिस्टम

इस चित्र में 'ल्' का अर्थ लघु है और 'गु' का अर्थ गुरु
